Tuesday, September 22, 2015

भगवती स्थानक बाजल घंटा

भगवती स्थानक बाजल घंटा
चलऽ उठाबऽ झोरा झंटा
छोड़ऽ असाम बम्बई दिल्ली
आ पंजाब ब'ला के डंटा
गाम तऽ आखिर गामे छै
हमरो तऽ एकटा नामे छै
भुखले छी तऽ सुतले छी
बाबा आशीर्वाद तऽ ठामे छै
परदेस में हर्षित कहाँ सँ होयब
बोईनक मोटरी कत्तेक ढोयब
लोकक बीच में खुब हँसई छी
बाद में भोकासी पारी रोयब
गाम में नञि कियो सरधुआ कहतऽ
आ नञि कियो बजरखसुआ कहतऽ
मेहिंक्का चाऊरक भात तु खईहऽ
आब नञि सुथनी मरुआ भेटतऽ
भगवती स्थानक बाजल घंटा
चलऽ उठाबऽ झोरा झंटा
:: अनुप सत्यनारायण झा ::

इजोत हेतई, अन्हार छुटत

इजोत हेतई, अन्हार छुटत
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भोर हेतई,
किरण फुटत 
इजोत हेतई,
अन्हार छुटत
निराश मैथिल
फेरो जागत
जँ जागत
दरिद्रता भागत
चिंता अनूप
जूनी करु
मातृभुम लेल
निश्चित लड़ू
के सामने
के देत संग
के पाछा
के करत व्यंग
निश्चित करु
अप्पन लक्ष्य
मैथिली करती
अपनेक रक्ष्य
छोड़ू चर्च
कीर्ति फीर्ति
देखब हुनका
अगिला घुरति
नीतिश राहुल
मोदी लालू
सबकर दोकान
रहत चालू
मिथिला मैथिल
कियो नञि चिन्हत
टाका बोतल दऽ
भोटो किनऽत
अप्पन दर्द
अपने जानी
मिथिला राज सँ
कम नञि मानी
भोर हेतई,
किरण फुटत
इजोत हेतई,
अन्हार छुटत
::अनूप सत्यनारायण झा::

चल रै बौआ गाम चल...

चल रै बौआ गाम चल...
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चल रे बौआ गाम चल
लेने भगवतीक नाम चल 
चल रै बौआ गाम चल.......
मुम्बई दिल्ली सबतईर घुमलैँ
बड़का छोटका खोता बुनलैँ
देहो दऽ रहल जवाब छौ
समय लऽ रहल हिसाब छौ
केने सबके प्रणाम चल
चल रै बौआ गाम चल..........
बस बिट्टी, गाछी, खेत-पथार
गामो पर लगईछै हाट-बजार
टाका पईसा कत्तौ भेटतौ
मेहनत करबैँ तऽ अत्तौ भेटतौ
बचबैत अप्पन सम्मान चल
चल रै बौआ गाम चल........
माय बाबूक त्याग सँ बनल देह
भदेश आबि बिसरलैँ तु माटिक सनेह
कने कने के फेरा मे समय रहलौ बीत
दाई बाबा के मुईलो पर कोना नञि फटलौ चीत
भविष्यक केने ध्यान चल
चल रै बौआ गाम चल............
तोरे मेहनत सँ प्रकाशित संसार
मुदा गाम में अक्खनो कुप अन्हार
गाम-घर, संगी-साथी बजा रहल छौ
इजोतक सपना सजा रहल छौ
अन्हारक लेने निदान चल
चल रै बौआ गाम चल..............

::अनूप सत्यनारायण झा::


यात्री आगे बढ़ता चल

यात्री आगे बढ़ता चल...
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यात्री आगे बढ़ता चल
हर पहाड़ तु चढ़ता चल 
लक्ष्य तेरा अब दूर नहीं
इतिहास नया तु गढ़ता चल
यात्री आ....................
है आज अकेला गर तु
निश्चय को बना हमसफर तु
कल साथ वो भी देंगे तेरे
जो रहे समझा छोड़ ये डगर तु
यात्री आ................
जो सोया है वो जागेगा
जो बैठा है वो भागेगा
तेरी पहल क्रांति लायेगी
जब तु लक्ष्य को दागेगा
यात्री आ..................
अनूप सत्यनारायण झा