Tuesday, September 22, 2015

यात्री आगे बढ़ता चल

यात्री आगे बढ़ता चल...
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यात्री आगे बढ़ता चल
हर पहाड़ तु चढ़ता चल 
लक्ष्य तेरा अब दूर नहीं
इतिहास नया तु गढ़ता चल
यात्री आ....................
है आज अकेला गर तु
निश्चय को बना हमसफर तु
कल साथ वो भी देंगे तेरे
जो रहे समझा छोड़ ये डगर तु
यात्री आ................
जो सोया है वो जागेगा
जो बैठा है वो भागेगा
तेरी पहल क्रांति लायेगी
जब तु लक्ष्य को दागेगा
यात्री आ..................
अनूप सत्यनारायण झा

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