Saturday, July 18, 2015

चलु विरार चलु विरार !!

चलु विरार चलु विरार !! ------------- जागु भईयारी होउ तैयार भाई बंधु के लेने विचार चलु विरार चलु विरार !! नञि कियो गोर नञि कियो कार जादव मंडल आ तिलकधार चलु विरार चलु विरार !! रेल फटफटिया आ मोटर कार साईकिल स्कुटर पैदल सवार चलु विरार चलु विरार !! बौआ बुच्ची भईया भौजी आओर सब नार देखत मिथिला बौआ बुचिक किलकार चलु विरार चलु विरार !! नेता अभिनेता गायक कलाकार हिन्दी मैथिली संग मराठी पत्रकार चलु विरार चलु विरार !! कमल धनंजय रविन्द्र कृष्ण कुमार मिलजुलकऽ सब लगाबु नैया पार चलु विरार चलु विरार !! वर्ली पनवेल पोईसर वाशी भिन्डी बजार मुम्बई ठाणे पालघर पुणे सबतईर हकार


चलु विरार चलु विरार !!


मिथिलाक विभुती सबहक हेतैन सत्कार ललका पाग नबका दोपटा संग फुलक हार चलु विरार चलु विरार !!
बारहो वर्णक एक्के ललकार मिथिला राज हम्मर अधिकार चलु विरार चलु विरार !! ::अनुप सत्यनारायण झा ::

Wednesday, July 15, 2015

हे मिथिलाक अर्जुन

हे मिथिलाक अर्जुन
वीर छ तु धीर छ !
तरकस में तोहर
रंग बीरंगा तीर छ !
देशक उन्नत्ति में
मेहनती तोहर शरीर छ !
मुदा मिथिलाक नाम पर
तु आन्हर आ बहिर छ !
देखि दुर्दशा गामक
आँखि में कहाँ नीर छ !
चाहे मुसलमान लाला
ब्राह्मण अहीर छ !
दिल्ली मुम्बई में
मात्र तु भीड़ छ !
कलकत्ता आसाम में
बड़का तु फकीर छ !
मुदा मिथिलाक नाम पर
तु आन्हर आ बहिर छ !
:: अनुप सत्यनारायण झानुप सत्यनारायण झा ::

पईसा कउड़ी खुब कमेलऽ

पईसा कउड़ी खुब कमेलऽ
खुन पसीना खुब बहेलऽ
देश विदेश में राज करई छ
जे नञि सेहो काज करई छ
बौआ सँ तु मनिजर बनलऽ
गउँवा के तु फटिचर समझलऽ
अलफलहा भेल साहेब बड़का
बिखपद्दु अक्खनो धरी कड़का
लाखक लाख टका तु गिनलऽ
फोर बीएचके फ्लेट तु किनलऽ
मुदा दिल्ली में पोखरी कतऽ सँ किनबऽ ?
गाक्षीक आम कि मुम्बई में बिछबऽ ?
बौआ के आंगना कतऽ देखेबऽ?
बरुआ के मड़बा कतऽ बनेबऽ?
गामक घर ओहिना कनईछ
सांझ में नञि आब डिबियो जरईछ
ताला असगर लटकल छ
कुंजी कत्तऊ भटकल छ
अंगनाक तुलसी सूईख रहल छ
कुकुर बिलाईर भूईक रहल छ
घर तोहर आब पुरा चुबई छ
दुरगमनिया कोच रोज भिजई छ
साईकिलक चक्का सड़ी गेलऽ
बाबा दाई सब मरी गेलऽ
बहुत कमेलऽ बहुत कमेलऽ
बाबा दाई सब गमेलऽ
बस करऽ आब बस करऽ
गाम धरऽ आब गाम धरऽ...................!!
:: अनुप सत्यनारायण झा ::
प्रियवाक्यप्रदानेन
सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं
वचने किं दरिद्रता॥
अर्थात :-
प्रिय वाक्य बजला (लिखला) सँ सब प्रसन्न होईत छथिन, ताञि निके बाजक (लिखक) चाही, बाजऽ (लिखऽ) में कोन दरिद्रता?
न अन्नोदकसमं दानं
न तिथि द्वादशीसमा।
न गायत्र्याः परो मन्त्रो
न मातु: परदैवतम्॥
अर्थात --
अन्न आओर जल केर समान दान नञि अछि, द्वादशीक समान तिथि नञि अछि, गायत्री सँ पईघ मंत्र नञि अछि आओर माता सँ पईघ देवता नञि अछि
हे मोदीजी, आब नञि चाही पसेंजर गाड़ी, 
दुगो दुरन्तो भी चलवादो 
नबका कारखाना कहाँ कहई छि,
रैय्याम लोहट सकरी ही खुलवादो
मिथिला सँ है कोन दुश्मनी,
एक बेर हमरो तऽ बतलादो
दरभंगा के किछ नञि देलऽ,
कम सँ कम स्मार्ट सिटी में नाम तो लिखवादो
हे मोदीजी, आब नञि चाही पसेंजर गाड़ी,
दुगो दुरन्तो भी चलवा दो
नबका कारखाना कहाँ कहई छि,
रैय्याम लोहट सकरी ही खुलवादो
बहुते घुमलऽ चीन जापान आ मंगोलिया,
आब मिथिलो में गाड़ी घुमवादो
नञि किछ तऽ अही बहाने
दरभंगा हवाई अड्डा के श्राप सँ मुक्त करवादो
हे मोदीजी, आब नञि चाही पसेंजर गाड़ी,
दुगो दुरन्तो भी चलवा दो
नबका कारखाना कहाँ कहई छि,
रैय्याम लोहट सकरी ही खुलवादो
::अनुप सत्यनारायण झा::








अहाँ बिनु भेलौं हम बहिरा

जहिया सँ गेलौं अहाँ नहिरा
अहाँ बिनु भेलौं हम बहिरा
भोरे नञि आब आँखी खुजईया
मऽनक बात नञि कियौ बुझईया
सबसँ मोश्किल साननाई आँटा
हँ आबईया हमरा काटनाई भाँटा
जीनगीक माला के अहीं छि हिरा
अहाँ बिनु भेलौं हम बहिरा
लोहिया में तरकारी कोना बनाबी
तसलीक भात कोना पसाबी
मोटका रोटी आब नञि ससरईया
रोटी संग संग हाथो जरईया
कोन डिब्बा में हरैद आ कोन में जिरा
अहाँ बिनु हम भेलौं बहिरा
बहुते साँझ उपासे बितईया
पाव खाईत खाईत आत्मा कनईया
चलि आबु आगा सहल नञि जायत
कि कि बितईया से कहल नञि जायत
अहाँ के हम कहियो नञि दुसऽब
जे बनायब भईर पेट ठूसऽब
अहीं छि करिना अहीं सकिरा
अहाँ बिनु हम भेलौं बहिरा
:: अनुप सत्यनारायण झा ::

मन पड़ल आई हम्मर दड़िमा गाम ...........

मन पड़ल आई हम्मर दड़िमा गाम ...........
बिंदेश्वरी बाबाक ऊँचका दलान
गणपैतका के दुतल्ला मकान
गाछी पर का छोटका मचान 
पप्पु मट्ठे के कपड़ा दोकान
फन्नीका पोखरीक मखान
चिलिसीका दोकानक मिठा पान
सबहक अड्डा भगवती स्थान
भईया के सासुर सँ आयल समान
कलुआही में भेटल मान सम्मान
बाबा सँ सुनल दियादी बखान
सरकारी गाछी सँ चोरायल आम
चुनचुन जी गाछक मिठका लताम
मन पड़ला सिताराम आ महावीर हजाम
दरभंगा वला ब'स पवन विमान
मिथिला में छोट छीन हम्मर गाम
सबसँ सुन्दर हम्मर दड़िमा गाम

बारम बारम बार प्रणाम !!
अनुप सत्यनारायण झा :

मऽन पड़ल हमहूँ छलौं रुसल


मऽन पड़ल हमहूँ छलौं रुसल
कोहबर घर में भईर दिन घुसल

सभकियो मनेलक
सभ कियो जगेलक

कोर्थू वाली सरोहजनी देली आवाज
ओझा जी की चाहीं, कथिलाऽ छैथ नाराज

बेनीपूर सँ रसगुल्ला आयल, आशापुर सँ पेरा
मिल्की सँ जिलेबी आयल, बहेड़ा सँ केरा

बिकुपट्टी सँ मामा एलाह
हाबीबुआर सँ गामा एलाह

बिसरा गेल किया नाराज भेलौं
कोन बात पर मौनी महाराज भेलौं

भईर अंदौली खबर इ पसरल
कारी मिशर के जमाय किया रुसल

कनियाक कननाई देखल नञि गेल
रसगुल्ला मिठाई छोड़ल नञि गेल

भुखले भईर दिन हालत छल पस्त
मुदा बेनीपूरक रसगुल्ला छल मस्त

::: अनुप सत्यनारायण झा :::

हर हाल में मिथिला राज चाही !!



सुनु सुनु! मिथिला आंदोलनक कथा सुनु
आंदोलनी सबपर जे बित रहल से व्यथा सुनु
इ भेल आब एहन खेला
भेल भानष पर पाहुन एला
हमरो चाही अइ में बखरा
नञि देबऽ तऽ हेतऽ लफरा
के थिक रावण के थिक विशर्वा
हमहीं रहऽब एकमात्र सर्वेशर्वा
कि कि केलऽ से बही किताब बताबऽ
कि कि खेलऽ से पुरा हिसाब देखाबऽ
बैंक में सही आब हमरे चलतऽ
बैनर पर फोटो हमरे लगतऽ
बैसु पाहुन ओना नञि औउताऊ
आंदोलनक डिबीया एना नञि मिझाऊ
दस दस लाठी खेने छी
तीन सांझ थाना में बितेने छी
पाहुन के एक एक लाठी पोन आ कल्ला पर
सुता दियौन बिन मच्छरदानी दुतल्ला पर
हे हे! हँसी मजाक केलौं माफ़ करु
हमरा प्रति हिया साफ़ करु
बंधुआ मजदुरी बढ़ हम केलौं
अपमानक अन्न बढ़ हम खेलौं
आब दरभंगा में हमरा काज चाही
हर हाल में मिथिला राज चाही
हर हाल में मिथिला राज चाही !!
जय जय मिथिला !!
:: अनुप सत्यनारायण झा ::