Wednesday, July 15, 2015

अहाँ बिनु भेलौं हम बहिरा

जहिया सँ गेलौं अहाँ नहिरा
अहाँ बिनु भेलौं हम बहिरा
भोरे नञि आब आँखी खुजईया
मऽनक बात नञि कियौ बुझईया
सबसँ मोश्किल साननाई आँटा
हँ आबईया हमरा काटनाई भाँटा
जीनगीक माला के अहीं छि हिरा
अहाँ बिनु भेलौं हम बहिरा
लोहिया में तरकारी कोना बनाबी
तसलीक भात कोना पसाबी
मोटका रोटी आब नञि ससरईया
रोटी संग संग हाथो जरईया
कोन डिब्बा में हरैद आ कोन में जिरा
अहाँ बिनु हम भेलौं बहिरा
बहुते साँझ उपासे बितईया
पाव खाईत खाईत आत्मा कनईया
चलि आबु आगा सहल नञि जायत
कि कि बितईया से कहल नञि जायत
अहाँ के हम कहियो नञि दुसऽब
जे बनायब भईर पेट ठूसऽब
अहीं छि करिना अहीं सकिरा
अहाँ बिनु हम भेलौं बहिरा
:: अनुप सत्यनारायण झा ::

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