Wednesday, July 15, 2015

प्रियवाक्यप्रदानेन
सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं
वचने किं दरिद्रता॥
अर्थात :-
प्रिय वाक्य बजला (लिखला) सँ सब प्रसन्न होईत छथिन, ताञि निके बाजक (लिखक) चाही, बाजऽ (लिखऽ) में कोन दरिद्रता?

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