हे मिथिलाक अर्जुन
वीर छ तु धीर छ !
वीर छ तु धीर छ !
तरकस में तोहर
रंग बीरंगा तीर छ !
रंग बीरंगा तीर छ !
देशक उन्नत्ति में
मेहनती तोहर शरीर छ !
मेहनती तोहर शरीर छ !
मुदा मिथिलाक नाम पर
तु आन्हर आ बहिर छ !
तु आन्हर आ बहिर छ !
देखि दुर्दशा गामक
आँखि में कहाँ नीर छ !
आँखि में कहाँ नीर छ !
चाहे मुसलमान लाला
ब्राह्मण अहीर छ !
ब्राह्मण अहीर छ !
दिल्ली मुम्बई में
मात्र तु भीड़ छ !
मात्र तु भीड़ छ !
कलकत्ता आसाम में
बड़का तु फकीर छ !
बड़का तु फकीर छ !
मुदा मिथिलाक नाम पर
तु आन्हर आ बहिर छ !
तु आन्हर आ बहिर छ !
:: अनुप सत्यनारायण झा
नुप सत्यनारायण झा ::

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